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हम युद्ध की तैयारी करते रहेंगे




चीन ने तमाम अंतरराष्ट्रीय संबंधों अनदेखा कर साफ साफ शब्दों में कहा है की "हम बंदूक नहीं छोड़ सकते, शांति सदा रहे जरूरी नहीं, हम युद्ध
की तैयारी करते रहेंगे"। 

अब देखिये व्यक्ति ही व्यक्ति का दुश्मन बनता आया है। जमीन की सीमाओं को लेकर भाई भाई के खून का प्यासा बनता है। राष्ट्र अपने पड़ौसी राष्ट्र का। इस जमीन पर जाने कितने इंसान आए चले गए, कोई इस को साथ लेकर नहीं गया। फिर भी पवित्र धरती माँ को इंसान हर समय रक्त रंजित करने में तुला रहता है।
अमेरिका लादेन को ढूंढ रहा है, भारत पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है, कोई तेल के कुएं के लिए लड़ रहा है। आप ही जरा विचार कीजिये कितनी छोटी है ये ज़िंदगी, इसे झगड़े फसाद में व्यर्थ ही खो देना कहाँ की समझदारी है भला ? यदि कुछ इकठ्ठा ही करना है तो क्यों नहीं ईश्वर का नाम, सद्कार्यों से अर्जित आत्मसंतुष्टि इकट्ठी की जाय ?
आखिर साथ क्या जाना है.........
"इतना तो तू कर बंदे
दुनिया के बीच आ के। 
क्यों बांधता है पाप की गठरी,
ले जा खरी कमा के,
आगे रास्ता है दूर बड़ा,
रख ले पाँव जमा के।"


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Comments
6 Comments

6 comments:

  1. उम्मीद है नया साल इंसानियत का पैगाम लेकर आयेगा ...

    आपको और आपके परिवार को नए साल की शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहद प्रेरणादायी आलेख ।

    जवाब देंहटाएं
  3. संक्षिप्त और सुन्दर सन्देश !

    जवाब देंहटाएं
  4. क्यों बांधता है पाप की गठरी,
    ले जा खरी कमा के....

    सच्च है आखिर साथ जाना क्या है .....?

    जवाब देंहटाएं

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